मेरी उम्र 37 साल है। मेरा बदन गठीला है, कसरत से तराशा हुआ, और लंबाई 5 फीट 7 इंच। मेरा लंड 8 इंच लंबा और काफ़ी मोटा है, ऐसा कि देखकर ही किसी की साँसें अटक जाएँ। ये कहानी तब की है जब मैं 21 साल का था और अपने भैया के ससुराल गया था। भैया की दो सालियाँ थीं – श्रुति, 19 साल की, और पूनम, 18 साल की। श्रुति गोरी, भरा हुआ बदन, 34-28-36 का फिगर, और चुलबुली सी मुस्कान जो किसी का भी दिल चुरा ले। पूनम थोड़ी शर्मीली, पतली कमर, 32-26-34 का फिगर, और आँखों में एक शरारत भरी चमक। मैं पहले भी कई बार उनके घर जा चुका था, तो माहौल हमेशा हँसी-मज़ाक वाला रहता था।
श्रुति तो मुझसे खूब मज़ाक करती थी। कई बार मज़े-मज़े में मेरे गालों को चूम लिया करती थी, और कभी-कभी तो हल्के से काट भी लेती थी। पूनम हँसती रहती, पर उसकी हँसी में एक शरारत छुपी रहती थी। एक दिन दोनों बहनों ने मुझसे कहा, “जीजू, चलो ना, आज पिक्चर देखने चलते हैं।” मैंने सोचा, ठीक है, मज़ा आएगा। पिक्चर हॉल उनके घर से काफ़ी दूर था, और हमें मटिनी शो देखना था। इसलिए दोपहर 2 बजे हम तीनों घर से निकल पड़े।
मैंने एक ऑटो रुकवाया। ऑटो में बैठते ही श्रुति और पूनम आपस में आँखों-आँखों में कुछ इशारा करके मुस्कुराने लगीं। मैंने पूछा, “क्या बात है? तुम दोनों इतना क्यों हँस रही हो?” श्रुति ने आँख मारते हुए कहा, “कुछ नहीं, जीजू। बस ऐसे ही।” मैंने ज़िद की, “नहीं, ज़रूर कुछ बात है। बताओ तो!” श्रुति बोली, “थोड़ी देर में सब पता चल जाएगा।” मैं कन्फ्यूज़ हो गया, पर मज़ा भी आ रहा था।
मुश्किल से 1 किलोमीटर गए होंगे कि श्रुति ने ऑटो रुकवाया और बोली, “जीजू, मेरी एक सहेली स्वेता यहीं रहती है। वो भी पिक्चर देखने चलना चाहती है। चलो, उसे लेने चलते हैं।” मैंने ऑटोवाले को पैसे दिए और श्रुति, पूनम के साथ स्वेता के घर पहुँच गया। स्वेता भी 18 साल की थी, श्रुति की दोस्त। उसका फिगर 34-27-35, चेहरा गोल, और होंठ गुलाबी। उसकी आँखों में एक अजीब सी शरारत थी। स्वेता ने मुझे देखते ही मुस्कुराकर कहा, “अरे, श्रुति, तू तो जीजू को ले ही आई!”
श्रुति ने हँसते हुए जवाब दिया, “हाँ, मैं तो ले ही आई!” श्रुति और पूनम सोफे पर स्वेता के पास बैठ गईं। तीनों ने गपशप शुरू कर दी। मैं चुपचाप बैठा सब सुन रहा था। 15 मिनट बीत गए, तो मैंने श्रुति से कहा, “अरे, पिक्चर नहीं देखनी क्या? देर हो रही है।” श्रुति ने मेरी तरफ देखकर आँख मारी और बोली, “जीजू, असली शो तो यहीं होगा। पिक्चर तो बस बहाना था। असल में हमें तुमसे चुदवाना है।”
मैं एकदम से चौंक गया। मेरे कान गर्म हो गए, पर दिल में एक अजीब सी खुशी की लहर दौड़ गई। आज मुझे एक साथ तीन चूत चोदने का मौका मिलने वाला था! तीनों ने ब्लाउज़ और मिनी स्कर्ट पहनी थी, जो उनके भरे हुए बदन को और उभार रही थी। चुदाई की बात सोचते ही मेरा लंड पैंट में तन गया। मैंने उसे दबाने की कोशिश की, तो स्वेता ने देख लिया और बोली, “जीजू, पैंट में क्या छुपा रहे हो? ज़रा दिखाओ तो!”
वो मेरे पास आई और मेरी पैंट की ज़िप खोलने लगी। मैंने उस दिन अंडरवियर नहीं पहना था। ज़िप खुलते ही स्वेता ने मेरा लंड अपने नरम हाथों में पकड़ लिया और बोली, “हाय, जीजू! ये तो बहुत बड़ा है! आज तो मज़ा आ जाएगा!” मेरा लंड अभी पूरी तरह बाहर नहीं निकला था। मैंने कहा, “अगर तुम तीनों को मुझसे चुदवाना है, तो पहले तुम सब अपने कपड़े उतारो और एकदम नंगी हो जाओ।”
तीनों जोश में थीं। श्रुति बोली, “ठीक है, जीजू! अभी उतारते हैं।” उन्होंने अपने ब्लाउज़ और स्कर्ट उतारने शुरू किए। दो मिनट में ही तीनों मेरे सामने पूरी नंगी थीं। उनकी गुलाबी चूत पर एक भी बाल नहीं था, जैसे पूरी तैयारी करके आई हों। श्रुति ने अपने भरे हुए चूचे उछालते हुए पोज़ दिया, पूनम ने अपनी कमर मटकाई, और स्वेता ने अपनी गांड हिलाकर मुझे ललचाया। मेरा लंड अब लोहे की रॉड की तरह तन गया था।
श्रुति बोली, “जीजू, अब तुम भी कपड़े उतारो। अपने लंड के पूरे दर्शन कराओ।” मैंने भी झट से अपनी शर्ट, पैंट, सब उतार फेंका और एकदम नंगा हो गया। मेरा 8 इंच का लंड देखकर श्रुति की आँखें चमक उठीं। वो बोली, “हाय राम, जीजू! ये तो बहुत मोटा और लंबा है!”
श्रुति ने मुझे बेड के किनारे बिठाया और मेरी गोद में आकर बैठ गई। उसकी गर्म चूत मेरे लंड को छू रही थी। वो मेरे होंठों को चूमने लगी, उसकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी। स्वेता मेरे बायीं तरफ बैठ गई और मेरे गालों को चूमने लगी। उसकी मुलायम चूचियाँ मेरे सीने पर रगड़ रही थीं, और उसके निप्पल कड़क हो चुके थे। पूनम मेरे दायीं तरफ बैठी और मेरा लंड सहलाने लगी। उसका नरम हाथ मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रहा था, और मेरा लंड अब पूरी तरह से तन चुका था।
मैंने स्वेता की चूचियों को अपने हाथों में लिया और उसके निप्पल मसलने लगा। वो “आह्ह…” करके सिसकारी। मैंने बारी-बारी से श्रुति और पूनम की चूत को सहलाना शुरू किया। उनकी चूत गीली होने लगी थी। श्रुति तो जोश में पागल हो रही थी। उसने मेरी उंगली पकड़कर अपनी चूत में डाल दी। मैंने अपनी उंगली उसकी गीली चूत में अंदर-बाहर करनी शुरू की। वो “उम्म… जीजू… और तेज़…” कहते हुए मेरे होंठों को और ज़ोर से चूमने लगी।
अचानक श्रुति ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। वो उसे चूसने लगी, जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रहा हो। “स्लर्प… स्लर्प…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। स्वेता और पूनम एक-दूसरे को चूमने लगीं। वो एक-दूसरे की चूचियों को मसल रही थीं और चूत को सहला रही थीं। दोनों “आह्ह… उह्ह…” करके सिसकार रही थीं। श्रुति 69 की पोजीशन में मेरे ऊपर आ गई। उसकी चूत मेरे मुँह के पास थी, और वो मेरे लंड को तेज़ी से चूस रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत से गीलेपन की खुशबू आ रही थी।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाली। वो पूरी तरह गीली थी। मेरी उंगली आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी। फिर मैंने उंगली निकालकर उसकी गांड में डाल दी। श्रुति “आउच!” करके चीखी और बोली, “जीजू, गांड में नहीं, चूत में डालो!” मैंने पूनम से कहा, “पूनम, श्रुति की चूचियाँ चूसो, ताकि इसे दर्द कम हो।” पूनम ने श्रुति के निप्पल मुँह में लिए और चूसने लगी। स्वेता भी पास आई और श्रुति की दूसरी चूची मसलने लगी। श्रुति अब शांत हो गई और “आह्ह… उह्ह…” करके सिसकारने लगी।
मैंने फैसला किया कि पहले श्रुति को चोदूँगा। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कीं। उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी, पूरी तरह गीली। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उसके दाने को छू रही थी, और वो “आह्ह… जीजू… और चाटो… हाय…” करके सिसकारी। मैंने उसकी चूत को और चाटा, उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था। वो बोली, “जीजू, अब और बर्दाश्त नहीं होता। जल्दी डालो अपना लंड मेरी चूत में। ज़ोर-ज़ोर से चोदो मुझे!”
मैंने उसके चूतड़ों के नीचे दो तकिए रखे, जिससे उसकी चूत ऊपर उठ गई। मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह पर रखा और धीरे से दबाया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड मुश्किल से अंदर गया। श्रुति की आँखों में आँसू आ गए। वो “आह्ह… धीरे, जीजू…” कहने लगी। मैंने पूनम और स्वेता से कहा, “इसकी चूचियाँ चूसो, इसे मज़ा आएगा।” दोनों ने श्रुति के निप्पल चूसने शुरू किए। श्रुति फिर जोश में आ गई और बोली, “जीजू, अब पूरा डाल दो! फाड़ दो मेरी चूत! चिल्लाने की परवाह मत करो!”
मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में घुसाना शुरू किया। “पच… पच…” की आवाज़ आने लगी। मेरा आधा लंड अंदर गया, तो वो चीखने लगी। मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा 8 इंच का लंड उसकी चूत में समा गया। श्रुति “आह्ह… मर गई…!” चीखी और रोने लगी। पूनम और स्वेता ने उसकी चूचियों को और ज़ोर से मसला। श्रुति थोड़ा शांत हुई, तो मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। “पच… पच… पच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।
पाँच मिनट बाद श्रुति का दर्द कम हुआ, और वो अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी। वो बोली, “जीजू, और ज़ोर से! मेरी चूत फाड़ दो! आह्ह… कितना मज़ा आ रहा है!” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसकी चूत अब मेरे लंड को आसानी से ले रही थी। वो “आह्ह… उह्ह… जीजू… चोदो… और तेज़…” सिसकार रही थी। मैंने उसे 15 मिनट तक चोदा, और फिर उसकी चूत में ही झड़ गया। “आह्ह…” मैंने सिसकारी भरी, और मेरा गर्म माल उसकी चूत में भर गया। श्रुति इस बीच दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने अपना लंड बाहर निकाला। उसकी चूत से मेरा माल और थोड़ा खून टपक रहा था। श्रुति उठी और मुझे बाथरूम ले गई। उसने मेरे लंड को साबुन से धोया और अपनी चूत भी साफ की। हम दोनों वापस आए, तो पूनम और स्वेता एक-दूसरे की चूत चाट रही थीं। दोनों “उम्म… आह्ह…” करके मज़े ले रही थीं। मुझे देखते ही स्वेता बोली, “जीजू, अब मेरी बारी!” पूनम ने कहा, “नहीं, पहले मैं चुदवाऊँगी!” स्वेता ने हँसते हुए कहा, “ठीक है, पहले तू चुदवा ले।”
श्रुति ने पूनम को 69 की पोजीशन में मेरे ऊपर आने को कहा। पूनम मेरे ऊपर आई, उसकी चूत मेरे मुँह के पास थी। वो मेरे लंड को सहलाने लगी, फिर चूसने लगी। “स्लर्प… स्लर्प…” की आवाज़ गूँज रही थी। श्रुति भी मेरे लंड को बारी-बारी से चूसने लगी। स्वेता अपनी चूत और चूचियाँ सहला रही थी। मैंने पूनम की चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली मुश्किल से 1 इंच अंदर गई। मैंने अपनी उंगली गीली की और फिर पूनम की चूत में डाल दी। वो “आह्ह… दर्द हो रहा है…” चीखी।
मैंने धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर की, तो वो जोश में आ गई। श्रुति ने पूनम से कहा, “अब जीजू का लंड अपनी चूत में लेने को तैयार हो जा। थोड़ा दर्द होगा, बर्दाश्त करना।” पूनम बोली, “जीजू, धीरे डालना, प्लीज़।” मैंने श्रुति और स्वेता से कहा, “मेरे लंड और पूनम की चूत को अपने थूक से गीला कर दो।” दोनों ने वैसा ही किया। मैंने पूनम की चूत पर अपना लंड रखा और धीरे से दबाया। वो “आह्ह… नहीं… दर्द हो रहा है!” चीखने लगी।
मेरा लंड सिर्फ़ 2 इंच अंदर गया था। श्रुति बोली, “जीजू, धीरे करो, इसकी चूत बहुत टाइट है।” मैंने पूनम की चूचियों को चूसने और मसलने को कहा। स्वेता और श्रुति ने वैसा ही किया। पूनम थोड़ा शांत हुई, तो मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। जब 4 इंच अंदर गया, तो वो फिर चीखी। मैंने 5 मिनट तक धीरे-धीरे चोदा, और फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो “आह्ह… मम्मी… मर गई!” चीखी और रोने लगी।
श्रुति ने मुझे डाँटा, “जीजू, तुमने ये क्या किया? धीरे डालने को कहा था!” मैंने कहा, “जब 4 इंच अंदर ले लिया, तो और इंतज़ार करना ठीक नहीं था। अब दर्द जल्दी खत्म हो जाएगा।” मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। “पच… पच… पच…” की आवाज़ गूँज रही थी। 10 मिनट बाद पूनम शांत हो गई और अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी। वो “आह्ह… जीजू… और तेज़… चोदो मुझे…” सिसकारी। मैंने स्पीड बढ़ा दी और उसे आँधी की तरह चोदा।
पूनम “उह्ह… आह्ह… हाय… और ज़ोर से!” चिल्ला रही थी। श्रुति उसकी चूचियाँ चूस रही थी। 30 मिनट की चुदाई के बाद मैं पूनम की चूत में झड़ गया। वो इस बीच तीन बार झड़ चुकी थी। मैं हट गया। पूनम की चूत चौड़ी हो चुकी थी। श्रुति ने उसकी चूत सहलाई और पूछा, “दर्द हो रहा है?” पूनम बोली, “दीदी, ये दर्द कुछ भी नहीं। चुदवाने का मज़ा जन्नत जैसा है। जीजू, तुमने मुझे ज़िंदगी का सबसे बड़ा सुख दिया। मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगी।”
मैं 15 मिनट आराम करता रहा। फिर स्वेता से कहा, “अब तेरी बारी। पहले बाथरूम चल, मेरा लंड साफ कर।” स्वेता मुझे बाथरूम ले गई। उसने मेरे लंड को साबुन से रगड़कर साफ किया। साफ करने के बाद मेरा लंड फिर तन गया। हम वापस आए। स्वेता मेरे सामने घुटनों पर बैठ गई और मेरा लंड चूसने लगी। “स्लर्प… स्लर्प…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और 69 की पोजीशन में आ गया। मैं उसकी चूत चाटने लगा, और वो मेरा लंड चूस रही थी।
मैंने उसकी चूत में उंगली डाली। उसकी चूत टाइट थी, पर पूनम जितनी नहीं। दो मिनट में उसकी चूत गीली हो गई। स्वेता बोली, “जीजू, अब तुम लेट जाओ। मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में लूँगी।” मैं लेट गया। स्वेता मेरे ऊपर आई और मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी। वो “उम्म… आह्ह…” सिसकारी। फिर उसने एक झटके में मेरे लंड पर बैठने की कोशिश की। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो “आह्ह… मम्मी…!” चीखी और अपने बाल नोचने लगी। उसकी चूत से खून टपकने लगा।
श्रुति बोली, “स्वेता, तूने एकदम से क्यों लिया? धीरे-धीरे लेना था!” स्वेता बोली, “मैं जोश में बेकाबू हो गई थी। दर्द तो हो रहा है, पर जल्दी खत्म हो जाएगा।” थोड़ी देर बाद स्वेता ने धीरे-धीरे अपनी चूत में लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। जब दर्द कम हुआ, तो उसने स्पीड बढ़ा दी। वो “आह्ह… जीजू… चोदो… और तेज़…” सिसकारी। दो मिनट बाद वो झड़ गई।
स्वेता ने कहा, “जीजू, अब तुम मुझे घोड़ी बनाकर चोदो।” वो घोड़ी बन गई। मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाला। “पच… पच…” की आवाज़ गूँज रही थी। उसकी चूत टाइट थी, पर दो मिनट बाद वो मज़े लेने लगी। वो “आह्ह… जीजू… और ज़ोर से… फाड़ दो मेरी चूत!” चिल्ला रही थी। मैंने उसे 1 घंटे तक चोदा। वो इस बीच चार बार झड़ चुकी थी। आखिर में मैं उसकी चूत में झड़ गया। स्वेता ने मेरा लंड अपनी जीभ से चाटकर साफ किया।
शाम के 6 बज चुके थे। पूनम बोली, “जीजू, मैं एक बार और चुदवाना चाहती हूँ।” श्रुति ने हँसते हुए कहा, “जब तक जीजू यहाँ हैं, हम रोज़ पिक्चर देखने जाएँगे।” मैं समझ गया कि सात दिन तक मुझे रोज़ इन तीनों को चोदने का मज़ा मिलेगा। हमने चाय पी और घर वापस आ गए। सात दिन तक मैं रोज़ “पिक्चर” देखने के बहाने इन तीनों को चोदता रहा। आज भी जब मौका मिलता है, मैं इन तीनों को चोद देता हूँ, और वो बड़े प्यार से मुझसे चुदवाती हैं।
